संजय गुप्ता, INDORE. मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) ने राज्य सेवा परीक्षा 2019 की लिखित परीक्षा आठ केंद्रों पर कराई थी, जिसमें चार केंद्रों पर परीक्षा का खर्च 70.50 लाख रुपए आया था। यह जानकारी आयोग ने ही अभ्यर्थियों द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) में मांगी गई जानकारी पर दिया है। आयोग ने लिखा है कि बाकी चार केंद्रों का हिसाब अभी नहीं आया है। यदि इसी अनुपात में देखा जाए तो यह खर्चा एक करोड़ 40 लाख रुपए होता है, बाकी अन्य खर्च भी जोड़ लें तो एक लिखित परीक्षा कराने में आयोग को करीब डेढ़ करोड़ का खर्च आता है। यह परीक्षा रद्द हो चुकी है और अब परीक्षा दोबारा छह से 11 फरवरी 2023 में आयोजित की जा रही है, जिस पर एक बार फिर इससे ज्यादा राशि खर्च होगी।
चार हजार अभ्यर्थियों को भरना होंगे 400 और 800 रुपए
हालांकि आयोग ने जो पूर्व में राज्य सेवा परीक्षा 2019 दे चुके हैं। उन्हें परीक्षा शुल्क देने से मुक्त रखा गया है लेकिन फिर से ऑनलाइन आवेदन करने का शुल्क 40 रुपए तय है। वहीं जो प्रोवीजनल सूची में या जो नए अभ्यर्थी नए रिजल्ट में पास है, उन्हें 400 और 800 रुपए का परीक्षा शुल्क देना होगा। आरक्षित वर्ग में शुल्क 400 तो वहीं मप्र के बाहर के राज्य के निवासियों और अनारक्षित वर्गओ के लिए यह शुल्क 800 रुपए होगा।
इधर अभी भी आर्डर नहीं हुआ जारी
उधर राज्य सेवा परीक्षा 2019 दोबारा कराए जाने को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में लगी याचिका पर सुनवाई होने के बाद आर्डर अभी भी रिजर्व पर रखा हुआ है। इसके चलते अभी भी अभ्यथी असमंजस के दौर में हैं। अंतिम सुनवाई 29 नवंबर को हुई थी। इसमें अभ्यर्थी जो पुराने रिजल्ट में पास हो चुके हैं, उन्हें दोबारा परीक्षा से मुक्त रखा जाए, ऐसी मांग रखी गई है। लेकिन अब आयोग के आदेश से सभी की परीक्षा दोबारा हो रही है और 14 दिसंबर से इसके लिए उन्हें ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू करना है।
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87-13 फार्मूले पर याचिका से भी असमंजस
ओबीसी आरक्षण पर कानूनी पेंच के चलते प्रशासन विभाग के नए 87-13 फीसदी के फार्मूले से जारी रिजल्ट को लेकर भी हाईकोर्ट इंदौर में याचिका लगी हुई है। इसमें अभ्यर्थियों ने इस प्रोवीजनल रिजल्ट सूची को अवैध घोषित कर रद्द करने की मांग की हुई है। इनका कहना है कि 13 फीसदी प्रोवीजनल रिजल्ट में आयोग ने मेरिट होल्डर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को लिया ही नहीं और अनारक्षित कैटेगरी का होने के बाद भी इसे सामान्य वर्ग के लिए बना दिया जो आरक्षण नीति के खिलाफ है। इसपर पीएससी को जवाब देना है और सोमवार को फिर सुनवाई संभावित है।
गायनोकोलॉजी विशेषज्ञ के इंटरव्यू अंकों पर विवाद बढ़ा
उधर लोक स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्त्री रोग (गायनोकोलॉजी) विशेषज्ञ परीक्षा के इंटरव्यू के जारी किए गए अंकों के लेकर विवाद बढ़ गया है। राउ विधायक जीतू पटवारी ने इस वर्गीय भेदभाव बताया है और राज्यपाल से इसे रद्द करने की मांग करने के लिए पत्र लिखा है। उल्लेखनीय है कि द सूत्र ने इसका खुलासा किया था कि 95 अभ्यर्थियों की जारी चयनित सूची में सामने आया है कि अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को औसतन 79 फीसदी अंक मिले तो वहीं आरक्षित वर्ग में यह 44 से 50 फीसदी ही रहा है। हालांकि पीएससी का दावा है कि परफार्मेंस के आधार पर यह निष्पक्ष अंक दिए गए हैं।